ग्रीन फाइनेंस और ईएसजी निवेश भारत में क्यों बढ़ रहे हैं | Sagrix Finance

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🔹 परिचय
दुनिया तेजी से बदल रही है — अब निवेशक सिर्फ मुनाफा नहीं, बल्कि टिकाऊ भविष्य में योगदान देना भी चाहते हैं। इसी सोच से ग्रीन फाइनेंस ( Green Finance ) और ईएसजी निवेश ( ESG Investing ) की शुरुआत हुई।
भारत में अब निवेशक और कंपनियाँ दोनों ही पर्यावरण, सामाजिक जिम्मेदारी और सुशासन ( Governance ) के मानकों पर ध्यान दे रहे हैं।
🔹 ग्रीन फाइनेंस क्या है ?
ग्रीन फाइनेंस का मतलब है — ऐसे वित्तीय निवेश जो पर्यावरण-हितैषी प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करते हैं।
जैसे:
* सोलर या विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स
* इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
* कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग
* ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency)
👉 इसका उद्देश्य केवल मुनाफा नहीं, बल्कि प्रकृति और अर्थव्यवस्था दोनों को संतुलित रखना है।
🔹 ईएसजी निवेश (ESG Investing) क्या होता है ?
ESG का पूरा रूप है —
1. E – Environmental (पर्यावरण)
2. S – Social (सामाजिक जिम्मेदारी)

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3. G – Governance (सुशासन)
जब कोई निवेशक कंपनी में पैसा लगाता है, तो अब वह केवल मुनाफा नहीं देखता बल्कि ये भी देखता है कि कंपनी:
पर्यावरण को कितना नुकसान या फायदा पहुंचा रही है
अपने कर्मचारियों और समाज के प्रति कितनी जिम्मेदार है
और उसके प्रबंधन (Governance) में पारदर्शिता कितनी है
इस प्रकार का निवेश न केवल सुरक्षित माना जाता है बल्कि दीर्घकालिक स्थिर रिटर्न भी देता है।
🔹 भारत में ग्रीन फाइनेंस की बढ़ती भूमिका
भारत सरकार और निजी क्षेत्र दोनों ही ग्रीन प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं।
कुछ प्रमुख पहलें हैं:
1. ग्रीन बॉन्ड्स (Green Bonds) – सरकार और कंपनियाँ पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाने हेतु जारी कर रही हैं।
2. राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (2023) – स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम।
3. RBI की भूमिका – रिज़र्व बैंक ने हाल ही में क्लाइमेट फाइनेंसिंग गाइडलाइन जारी की है ताकि बैंक ग्रीन प्रोजेक्ट्स में ऋण दे सकें।
4. SEBI का ESG खुलासा नियम (2024) – अब बड़ी कंपनियों को अप
ने ESG प्रदर्शन का खुलासा करना अनिवार्य है।